कि लम्हा रातों का समा सुहाना सा मंज़र बारिशों का हसीन बेतहाशा होगा। कि लम्हा रातों का समा सुहाना सा मंज़र बारिशों का हसीन बेतहाशा होगा।
नाजुक से सपने, सहेज कर ना रखो, कुछ करने की है, हिम्मत, उड़ने का हौसला रखो...! नाजुक से सपने, सहेज कर ना रखो, कुछ करने की है, हिम्मत, उड़ने का हौसला रखो...!
सपने के लिये अथाह प्रयास करना ! सपने के लिये अथाह प्रयास करना !
जो आसमान आँखों में है, उसे कदमों के नीचे लाना है...! जो आसमान आँखों में है, उसे कदमों के नीचे लाना है...!
पिघलती बारिशों में दिल की जमीं, कुछ धुली -धुली सी है... पिघलती बारिशों में दिल की जमीं, कुछ धुली -धुली सी है...